किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन (Accounting) कहा जाता है ।
सरल शब्दों में लेखांकन का आशय वित्तीय लेन देनों को क्रमबद्व रूप में लेखाबद्व करने, उनका वर्गीकरण करने, सारांश तैयार करने एवं उनको इस प्रकार प्रस्तुत करने से है, जिससे उनका विश्लेषण व निर्वचन हो सके। लेखांकन में सारांश का अर्थ तलपट बनाने से है और विश्लेषण व निर्वचन का आधार अन्तिम खाते होते है, जिनके अन्र्तगत व्यापार खाता, लाभ-हानि खाता तथा चिटटा/स्थिति विवरण या तुलन पत्र तैयार किये जाते है।
उदाहरण
किसी व्यवसाय में बहुत बार वस्तु खरीदा जाता है, बहुत बार विक्री होता है । खर्च भी होता रहता है आमदनी भी होता रहता है, कुल मिलाकर कितना खर्च हुआ कितना आमदनी हुआ किन-किन लोगों पर कितना वकाया है तथा लाभ या हानि कितना हुआ, इन समस्त जानकारियों को हासिल करने के लिए व्यवसायी अपने वही में घटित घटनाओं को लिखता रहता है । यही लिखने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । अतः व्यवसाय के वित्तीय लेन-देनों को लिखा जाना ही लेखांकन है ।
उस धनराशि को Capital कहा जाता है जिसे व्यवसाय का स्वामी व्यवसाय में लगाता है। इसी राशि से व्यवसाय प्रारम्भ किया जाता है।
* What is Debtor ?
वे व्यक्ति, संस्था, फर्म, कम्पनी या निगम, आदि जिनसे धन वसूलना रहता है अथवा जिनके पास संस्था की राशि देय है, उन्हें देनदार (Debtor) कहा जाता है।
* What is Expenses ?
आगम की प्राप्ति के लिए प्रयोग की गई वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत को व्यय कहते हैं।
Expenses उदाहरण :-
विज्ञापन व्यय, कमीशन, ह्रास, किराया, वेतन, आदि।
* what is income?
आगम में से व्यय घटाने पर जो शेष बचता है, उसे आय (Income) कहा जाता है।
आय = आगम - व्यय
* Assets) क्या है ?
सम्पत्तियाँ से आशय उद्यम के आर्थिक स्त्रोत से है जिन्हें मुद्रा में व्यक्त किया जा सकता है, जिनका मूल्य होता है और जिनका उपयोग व्यापर के संचालन व आय अर्जन के लिए किया जाता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सम्पत्तियाँ वे स्त्रोत्र हैं जो भविष्य में लाभ पहुँचाते हैं।
उदाहरण के लिए, मशीन, भूमि, भवन, ट्रक, आदि।
इस तरह सम्पत्तियाँ व्यवसाय के मूलयवान साधन हैं जिन पर व्यवसाय का स्वामित्व है तथा जिन्हें मुद्रा में मापी जाने वाली लागत पर प्राप्त किया गया है।
1. (Fixed Assets)
स्थायी सम्पत्तियों से आशय उन सम्पत्तियों से है जो व्यवसाय में दीर्घकाल तक रखी जाने वाली होती हैं और जो पुनः विक्रय के लिए नहीं हैं।
उदाहरण - भूमि, भवन, मशीन, उपस्कर आदि।
2. (Current Assets)
चालु सम्पत्तियाँ से आशय उन सम्पत्तियों से है जो व्यवसाय में पुनः विक्रय के लिए या अल्पावधि में रोकड़ में परिवर्तित करने के लिए रखी जाती हैं। इसलिए इन्हें चालू सम्पत्तियाँ, चक्रीय सम्पत्तियाँ और परिवर्तनशील सम्पत्तियाँ भी कहा जाता है।
उदाहरण :
देनदार, पूर्वदत्त व्यय, स्टॉक, प्राप्य बिल, आदि।
3. (Intangible Assets)
अमूर्त सम्पत्तियाँ वे सम्पत्तियाँ हैं जिनका भौतिक अस्तित्व नहीं होता है, किन्तु मौद्रिक मूल्य होता है।
उदाहरण - ख्याति, ट्रेड मार्क, पेटेण्ट्स, इत्यादि।
4. (Tangible Assets)
मूर्त सम्पत्तियाँ वे सम्पत्तियाँ हैं जिन्हें देखा तथा छुआ जा सकता हो अर्थात जिनका भौतिक अस्तित्व हो।
उदाहरण -भूमि, भवन, मशीन, संयंत्र, उपस्कर, स्टॉक, आदि।
5. (Wasting Assets)
क्षयशील सम्पत्तियाँ वे सम्पत्तियाँ हैं जो प्रयोग या उपभोग के कारण घटती जाती हैं या नष्ट हो जाती हैं।
उदाहरण -
खानें, तेल के कुँए, आदि।
* लेनदार (Creditor) क्या है ?
जिस व्यक्ति, संस्था, फर्म, कम्पनी या निगम, आदि को उधार क्रय के लिए या ऋण के लिए व्यापारी द्वारा धन देय होता है, वे व्यापारी के लेनदार कहे जाते हैं।
*Goods क्या है ?
जिन वस्तुओं का कोई व्यापारी व्यापर करता है, वह उसका माल (Goods) कहलाता है, जैसे - यदि कोई व्यापारी गेहूँ का व्यापर करता है तो गेहूँ उसका माल कहलाएगा।
यदि फर्नीचर का व्यापार करता है तो फर्नीचर उसका माल कहलाएगा।
* (Revenue) क्या है ?
Revenue से आशय व्यवसाय की आय से है। इसका अभिप्राय नियमित रूप से प्राप्त होने वाली आय या आवर्ती प्रकृति की आय से भी है। आगम (Revenue) से पूँजी में अभिवृद्धि होती है।
आगम(Revenue) का उदाहरण
माल के विक्रय से प्राप्तियाँ, अर्जित ब्याज, अर्जित कमीशन, अर्जित किराया, अर्जित लाभांश, अर्जित बट्टा, आदि।
* Outstanding Expenses क्या है और इसका लेखा कैसा किय
ऐसे व्यय जो चालू वर्ष से संबंधित होते हैं परन्तु खाते बन्द करने की तिथि तक नहीं चुकाए गए रहते हैं, अदत्त व्यय (Outstanding Expenses )कहलाते हैं। मजदूरी, वेतन व किराए के लिए अदत्त व्यय हो सकता है।
इसके लिए इस तरह के लेखा किया जाता है :-
Particular Expenses A/c Dr.
To Outstanding Expenses A/c
* Depreciation क्या है और इसका लेखा कैसे किया जाता है ?
स्थायी सम्पत्तियों पर ह्रास काटा जाता है। यह व्यवसाय के लिए हानि है। ह्रास अवास्तविक खाता है।
अतः इसकी लेखा इस तरह से की जाती है :-
Depreciation A/c Dr.
To Assets A/c
* Discount) क्या होता है ?
बट्टा को छूट, कटौती या अपहार भी कहते हैं। बट्टा दो प्रकार का होता है।
1. (Tdare Discount) :- सामान्यतः बट्टा या कटौती से व्यापारिक बट्टा का ही बोध होता है। जब निर्माता अपने ग्राहक को अंकित मूल्य अथवा विक्रय मूल्य पर एक निश्चत दर से कटौती देता है तो उस छूट या कटौती को व्यापारिक बट्टा कहा जाता है।
2. (Cash Discount) :- ग्राहकों से तुरंत अथवा एक निश्चित अवधि के अंदर नकद भुगतान प्राप्त करने के उद्देश्य से जो छूट दी जाती है उसे नकद बट्टा या रोकड़ बट्टा कहते हैं।
नकद बट्टा का लेखा पुस्तकों में अवश्य किया जाता है। बट्टा दिए जाने पर Discount A/c Dr.
Discount A/c को क्रेडिट किया जाता है।
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